Sunday, September 17, 2023

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03/298                     सितम्बर  2023 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 17.09.2023
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  



केशव शरण






01. रामलीला


सीता को समाना है

भू में

राम को समाना है

सरयू में

लेकिन देखता हूँ कि

रामलीला हो गयी समाप्त

राजगद्दी 

और नगर-भ्रमण के पश्चात


02. सिर्फ़ कहने को

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

जिस चाँद  को

अब निहार पा रहा हूँ 

वह अब भी सुदूरतर है


सिर्फ़ कहने को

पीली कोठी की मुंडेर पर है

  • एस 2/564 सिकरौल वाराणसी-221002/मो. 09415295137

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