Sunday, November 6, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /253                     नवम्बर 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 06.11.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


नरेश कुमार उदास





01.


जीवन की

आड़ी-तिरछी

पगडण्डी पर

चल रहा हूँ

दौड़ रहा हूँ

हाँफ रहा हूँ

थककर

बैठ जाना चाहता हूँ।


02.


औरत कहीं-कहीं

जूझ रही है

लड़ रही है

फिर भी 

पीछे धकेली जा रही है।


03.


जीवन

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
महासागर समान है

जिसमें उठता है

दुःखों का ज्वार भाटा

और कभी उमंगों से 

भरा दिल

लहरों समान 

मचलने लगता है।

  • आकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि.  जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718

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