Sunday, October 30, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /252                     अक्टूबर 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 30.10.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


वी. एन. सिंह




01. ललछहे-बादल


ललछहे बादल

बछड़े से फुदकते

सूरज की लाल मटकी

को पाने के लिए।


02. उबाल


कहीं फदकी होगी

दाल उस पार

कि उबाल आया है

मेरे आँगन में।


चित्र : प्रीति अग्रवाल 
03. बन्जारा


नदी के तट पर

बैठा खामोश

प्यासा बन्जारा

एकतारे पर गुनगुनाता

नदी तू

आये कहाँ से

जाये कहाँ रे!

  • 111/98-फ्लैट 22, अशोक नगर, कानपुर-208012, उ.प्र./मोबा. 09935308449

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