Sunday, October 2, 2022

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                          ब्लॉग अंक-03 /248                     अक्टूबर 2022 

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 02.10.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


इन्द्र देव गुप्ता




01.


रूप की छलकती गगरी  

भीतर से दबी कुचली 

शापित कली 

जो कभी ना खिली   


02.


सर फोड़ते निरापद

पत्थर और महज़ पत्थर 

कैसे मान लूँ उन्हें 

अपना हमसफ़र।


03.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


वर्षों बाद हुआ मालूम 

मेरे साथ तुम नहीं 

तुम्हारी परछाई चली,  

मुद्दत से यह छिपी बात 

बड़ी खली।

  •  बी-31, जीएफ, साउथएण्ड फ्लोर्स, सै. 49, गुरुग्राम-122018, हरियाणा/मो. 08130553655

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