Sunday, August 15, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /189                        अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 15.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


 

राजेश 'ललित'




01. नई कहानियाँ 


कहानी हमारी 

तो खत्म थी

उस दिन 

जब देखा तुम्हें

राह से गुज़रते 

कई कहानियाँ 

नई कहानियाँ 

शुरु हो गईं

धीरे-धीरे


02.


मैने नहीं देखी

सरहदें कभी

हमेशा रहे 

हदों में सभी

लक्ष्मण रेखायें

अब भी खिंची हैं

सहमी-सहमी सी


03.


चलो रूठी हुई

उम्र को मनायें

उछलें कूदें

नाचे गायें

लौट चले वापिस

उस आँगन 

जहाँ मासूम

खड़ा है बचपन

ताकता पचपन

रेखाचित्र : विज्ञान व्रत 

04.


वही दूर हो गया

जो अपना था

फिर बहक गया

चुग़ली के दो घूंट पीकर

  • बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484

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