Sunday, August 22, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /190                        अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 22.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



ज्योत्स्ना प्रदीप




01. फ़र्क 


ओ छुईमुई.. 

इस दौर में भी 

तेरी सकुचाहट में 

कोई फ़र्क 

नज़र नहीं आता है!

कुछ सीखो नागफनी से... 

उससे उलझने से तो 

विषधर भी कतराता है!


02. अहसान


ये अहसान

क्या कम है?

आज भी ....

उसकी बाज़ू  

मेरे ही आँसुओं से नम है!!


03. लहूलुहान सूरज  

रेखाचित्र : राजेन्द्र परदेसी 


स्याह पड़ रहा था

नीले आसमान का चेहरा 

शाम भी हैरान

सूरज

गिर रहा था

सागर-से पिता की गोद में

होकर लहूलुहान!!!

  • मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792

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