Sunday, August 29, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /191                        अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 29.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


वी. एन. सिंह  




01. रात


बहुत खामोश है

जैसे पक्षियों के

डैनों में दुबकी हो रात

अब कोई फड़फड़ाहट नहीं 

टहनियों पर।


02. तुम ठहाके लगा रहे हो


समझ सको 

अभी वक्त है सम्हलो

जिस्म से खालें उतर रहीं

राजनीति के गलियारे में

तुम ठहाके लगा रहे हो।


03. मौसम

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

इस मौसम को 

क्या नाम दूँ

जो अपने में गुमसुम है

उदासी का रेगिस्तान

फैल गया शहर में।

  • 111/98-फ्लैट 22, अशोक नगर, कानपुर-208012, उ.प्र./मो. 09935308449

Sunday, August 22, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /190                        अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 22.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



ज्योत्स्ना प्रदीप




01. फ़र्क 


ओ छुईमुई.. 

इस दौर में भी 

तेरी सकुचाहट में 

कोई फ़र्क 

नज़र नहीं आता है!

कुछ सीखो नागफनी से... 

उससे उलझने से तो 

विषधर भी कतराता है!


02. अहसान


ये अहसान

क्या कम है?

आज भी ....

उसकी बाज़ू  

मेरे ही आँसुओं से नम है!!


03. लहूलुहान सूरज  

रेखाचित्र : राजेन्द्र परदेसी 


स्याह पड़ रहा था

नीले आसमान का चेहरा 

शाम भी हैरान

सूरज

गिर रहा था

सागर-से पिता की गोद में

होकर लहूलुहान!!!

  • मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792

Sunday, August 15, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /189                        अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 15.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


 

राजेश 'ललित'




01. नई कहानियाँ 


कहानी हमारी 

तो खत्म थी

उस दिन 

जब देखा तुम्हें

राह से गुज़रते 

कई कहानियाँ 

नई कहानियाँ 

शुरु हो गईं

धीरे-धीरे


02.


मैने नहीं देखी

सरहदें कभी

हमेशा रहे 

हदों में सभी

लक्ष्मण रेखायें

अब भी खिंची हैं

सहमी-सहमी सी


03.


चलो रूठी हुई

उम्र को मनायें

उछलें कूदें

नाचे गायें

लौट चले वापिस

उस आँगन 

जहाँ मासूम

खड़ा है बचपन

ताकता पचपन

रेखाचित्र : विज्ञान व्रत 

04.


वही दूर हो गया

जो अपना था

फिर बहक गया

चुग़ली के दो घूंट पीकर

  • बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484

Sunday, August 8, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /188                          अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 08.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



चक्रधर शुक्ल




01.


पिता ने

जब भी कुछ कहा

माँ की

हाँ ही रही ,

केन्द्र में हमेशा 

माँ रही।


02.


माँ को

ईश्वर ने

समय निकाल कर गढ़ा ,

मैंने उसकी आँखों में 

वेदों को पढ़ा।

रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 


03.


ससुर का

बहू के सामने

खाँसना महँगा पड़ा,

क्वारंटीन होना पड़ा।

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मो.  09455511337

Sunday, August 1, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /187                        अगस्त 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 01.08.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


पुष्पा मेहरा



01.

ठिठुरती भोर 

ओस से मुँह धोने 

उतरी ही थी कि

सूर्य ने पहले तो ओस को 

इन्द्रधनुष से सजाया  

फिर विश्वासघात कर   

रेखाचित्र : मार्टिंन जॉन  
उसकी हस्ती ही मिटा दी!


02.


कौन कहता है 

दीवार खड़ी करने से 

पानी की धाराएँ रुक जाती हैं 

वे तो अपनी झिरी 

आप ही खोज लेती हैं।

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598