Sunday, July 18, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /185                        जुलाई 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 18.07.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


रमेशकुमार भद्रावले




01. रोटी


रोटी की जिन्दगी

आज,

कितनी कम हो गई

बनी, तवे पर चढ़ी

और

खत्म हो गई!


02. व्यथा


साथ-साथ,

चल रहे थे,

जरा मुंडी उधर की

कहाँ चले गये,

दुनिया के सारे,

तार-बेतार-फोन

चिठ्टी, सन्देश सब

बेकार हो गये!


03.  सबक


सिखाने गिराने,

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 
न ही चोट

पहुँचाने के लिए,

वो लगती है,

सिर्फ आदमी को

लगे कि ठोकर भी,

दुनिया की सबसे

बड़ी गुरु होती है,!

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831

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