Sunday, July 4, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

  समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /183                        जुलाई 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 04.07.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


संतोष सुपेकर




01.

एक छाँव का निधन हो गया है

एकाएक।


बरसों पुराना बड़ा-सा पेड़

गिरा दिया गया है 

षणयंत्रपूर्वक, कल।।


02. 

ताजमहल देख लिया क्या?

आओ, अब दिखाऊँ तुम्हें

छत, मेरे घर की।


इस छत से

बरसों पहले

दिखता था ताजमहल।।

रेखाचित्र : सिद्धेश्वर 


03. 

बहुत लम्बे समय से

अच्छे लोगों की तलाश में था मैं।


अच्छे लोग मिले भी मुझे

हाँ, मिले

अच्छे लोग मिले मुझे,

हालाँकि

उनकी उम्र चार वर्ष से कम थी।।

  • 31, सुदामानगर, उज्जैन-456001, म.प्र./मो. 09424816096

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