Sunday, April 11, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /171                     अप्रैल 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 11.04.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


नरेश कुमार उदास





01.


जब भी आइने में 

देखता हूँ अपना चेहरा

तो डर जाता हूँ

अपने भीतर 

और बाहर के रूप में

अन्तर देखकर!


02.


ओस से नहाती है

जब दूब

मेरे मन में

खुशी होती है खूब।


03.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

इन्द्रधनुष के रंगों से 

आकाश रंगीन हो उठा

और मेरा मन भी

रंगीन सपनों के

ताने-बाने बुनने लगा।

  • अकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि.  जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718 

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