समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /173 अप्रैल 2021
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 25.04.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
कंचन अपराजिता
01.
ये दर्द बेहिसाब से
जाने कैसे इनसे
गुजर रहे हैं लोग,
वक्त ने दिखाया
सबकुछ छलावा है।
भूख भूख भूख...
अंतिम सत्य यही है।
02.
कुछ व्यथा की
कथा
क्यों अंतहीन रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया
होती जा रही है
हे ईश्वर!
रहम कर....
03.
भूख से बिलखते
जो देखा उसे..
अपने हाथों की रोटी
बेस्वाद-सी लगी
जो उसे न दे सके।
- 39/1ए सिन्दूर ग्रीन पार्क, जयचन्द्रन नगर, पालीकरनाय, चेन्नई-600100, त.नाडु