Sunday, February 14, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /163                      फरवरी 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 14.02.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



 चक्रधर शुक्ल




01.


समय के पहले 

कुछ नहीं हो पाया ,

अभिमानी ने 

घर 

सर पर उठाया!


02.


प्रकृति से

खिलवाड़ 

महँगा पड़ा,

खुले में 

रहना पड़ा!


03.


पुरखों को

याद कर

संस्कारों को जीता,


कर्म करते रहो 

रेखाचित्र : (स्व.) बी.मोहन नेगी 

सिखलाती गीता!


04.


नदी में 

बाँध बनाकर

प्रवाह को 

थामने की चुनौती,

प्रलय

अहंकार को तोड़ती 

मिट्टी को रौंदती!

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मोबाइल : 09455511337

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