Sunday, February 7, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /162                       फरवरी 2021

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 07.02.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


 सुशील पाण्डेय




01.


मेहनतकश/किसान का दर्द

माँ धरती समझती है

दुःख में दरकती है!


02. 


थके-हारे पिता की

निकल रही ‘चीख’

कलुवा के कानों में

मोबाइल की लीड।


03. 


चारों ओर/रोटी के लिए शोर

और/पेट का ककहरा है,

अफसोस

धृतराष्ट्र/गूँगा-बहरा है


04.


हमारी जागरूकता

केवल अखबारों के 

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
चर्चित दर्पण तक

बौद्धिकता/बेमुद्दा बहस तक

और दार्शनिकता

उलझाव तक।


05.


जाग नहीं सकती

कठपुतली,

तभी लग रही/बहुत भली!

  • 128/24, सी-ब्लॉक, किदवईनगर, कानपुर-208011, उ.प्र./मो. 09651690735 

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