समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /153 दिसंबर 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
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रविवार : 06.12.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शील कौशिक
01. असमंजस में हैं परिंदें
असमंजस में हैं परिंदें
पेड़ों की बजाय
इमारतों को उगते देख
सोचते हैं
भला वो शाख कहाँ से लायें
जिस पर वो कर सकें बसेरा
02. स्वछन्द बदली
आस लगाकर मुग्ध हो ताक रहे थे सभी
उस स्वछन्द बदली को
यकायक अँगूठा दिखाती
सबके सामने
03. बारिश के बाद
वर्षा के बाद की धूप
रचती है तिलिस्म
हवा में लटकी बूँदों में
इन्द्रधनुष सजाकर
- मेजर हाउस नं. 17, हुडा सेक्टर-20, पार्ट-1, सिरसा-125055, हरि./मो. 09416847107
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