समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 85 अगस्त 2019
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 18.08.2019
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 18.08.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
सुशीला जोशी
01.
शीशम के
मजबूत तने में
पीपल की जड़े!
उफ!
जबरदस्ती की
इतनी हदें।।
02.
कट रहा है पेड़
चिड़िया व्यस्त है
नीड़ बुनने में।
03.
गमले की तली में बैठे
इन कीड़ों की
ताकत तो देखो
हरे भरे लहलहाते
रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी |
कंकाल बना डाला।।
04.
पहले फाँसी पर
लटकती थी
आकांक्षाएँ
और अब
लटकती हैं
अपेक्षाएँ ।।
- 948/3 योगेन्द्रपुरी, रामपुरम गेट, मुजफ्फरनगर, उ.प्र./मो. 09719260777
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