समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 84 अगस्त 2019
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 11.08.2019
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 11.08.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
बालकृष्ण गुप्ता ‘गुरु’
01. जीवन
बंद मुठ्ठी में लेकर आया
जिया खुली क़िताब
शब्द-शब्द, सुगन्धित मेहताब
सार्थक
02. जमाना
भीड़ में से एक बच्चा
महापुरुष के पदचिन्ह पर खड़े होकर
अपने पैर मिला रहा था
रेखाचित्र : राजवंत राज |
बाकी मुस्कुरा रहे थे
पास आ-जा रहे थे...
03. नासमझ
आँख में झाँका
सीप में मोती
समझने के लिए प्यार
पढ़ते गया पोथी पर पोथी
- डॉ. बख्शी मार्ग, खैरागढ़-491881, छ. ग./मो. 09424111454
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