Sunday, August 4, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 83                अगस्त 2019


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01. समकालीन क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }

रविवार : 04.08.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


शशि पाधा 








01.             

वक्त की अलगनी पर 
टाँग दिए 
सारे अवसाद 
उलझनें 
मन की पीर 
शायद धूप सोख लें 
या, हवा उड़ा ले जाए 
कभी !!!!!!

02.

आज फिर 
ओढ़ ली है मौसम ने 
सफेद चादर 
मातम की 
शायद आज 
फिर से सुन ली है उसने 
कोई खबर 
आतंकी हिंसा की! 

03.

ओरे पतझड़!
थोड़ा रुककर आना 
अभी, और पहननी हैं चूड़ियाँ 
डालियों ने पत्तों की 
अभी, थके माँदे राही को  
ओढ़नी है छाँव 
अभी, धूप ने खेलनी है 
आँख मिचौली 
अभी पल रहे हैं बच्चे 
घोंसलों में 
अभी मत आना 
सुन रहे हो ना?
रेखाचित्र : रीना मौर्या "मुस्कान"


04.

जीना या बिताना 
जिन्दगी आपकी है 
चुनना या बदलना 
मंज़िल आपकी है 
जीतना या हारना 
पारी आपकी है 
चुनो जीतो जियो 
किस्मत आपकी है!

  • 174/3, त्रिकुटानगर, जम्मू-180012, जम्मू-कश्मीर

Email : shashipadha@gmail.com

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