Sunday, February 17, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 59                 फ़रवरी 2019


क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }

02. अविराम क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }


रविवार : 17.02.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


ज्योत्स्ना शर्मा





01.

काँपता रहा 
लेकर पंख गीले 
मन का पंछी 
कितना भिगोया है?
अम्बर क्यों रोया है?

02.

होके सवार 
हवाओं के रथ पे 
चल दिया पत्ता 
धानी सी कोंपल को 
सौंप के सारी सत्ता!
छायाचित्र : उमेश महादोषी 


03.

सागर हुआ
मिलने को बेकल
धीमे-धीमे ही
बहती कल-कल
कहती रही- कल!

  • एच-604, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053

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