समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 58 फ़रवरी 2019
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श }
रविवार : 10.02.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
बलराम अग्रवाल
01.
रुकती है तो सूख जाती है
नदी इसलिए
रुकती नहीं
सिर्फ रास्ता बदलती है
02.
उसने
पाया था यह मुकाम
लाँघते हुए वर्जनाओं को
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता |
बन्द है प्रवेश यहाँ
वंचितों का।
03.
मैं परिंदा
आँधियों से कब डरा
आदमी ने जब बुलाया
तब मरा।
- एम-70, उल्धनपुर, दिगम्बर जैन मन्दिर के पास, नवीन शाहदरा, दिल्ली/मो. 08826499115
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