समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 55 जनवरी 2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शैलेष गुप्त ‘वीर’
01.
सीमित मन
असीमित आत्मा
सदियों से/चल रहे हैं-
अपने-अपने दाँव
रेखाचित्र : (स्व.) पारस दासोत |
आज भी नंगे पाँव!
02.
आज
सरकारी नल में
पानी आ रहा है
यह ख़बर गंगू
सारे गाँव को बता रहा है!
- 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005
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