Sunday, July 1, 2018

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 32                    जुलाई 2018


रविवार  : 01.07.2018 


‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा। 
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


पुष्पा मेहरा


भाव मन के : कुछ क्षणिकाएँ

01.

बुझी आग समझ 
उसे फेंकने की कोशिशें ही 
मेरी उंगलियाँ जला गईं...

02. 

बादल हूँ 
बूँदें मेरा अस्तित्व,
बिज़ली मेरी ताकत है...

03. 

भरे बादल आए थे 
बिन बरसे ही उन्हें लौटना पड़ा,
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता 
निगोड़ी इन हवाओं का 
मैं क्या करूँ ...  

04.

आँखों और मन की मैत्री 
तारीफ़ेकाबिल है दृ
मन के तार कौन छेड़ गया,
शब्दों से पहले   
आँखें झट बता देतीं हैं !! 
  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

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