समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 27 मई 2018
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शिव डोयले
01.
कितनी बड़ी
बिडम्बना झेल रहे हैं
कि मुर्दा पिच पर
ज़िंदा लोग खेलं रहे हैं
02.
तुम्हारे साथ/गुजारे
सर्दी में
गर्म होते/क्षणों को
आज तुमने
स्वेटर में
नई डिजाइन/डालकर
बुन दिये हैं
03.
भुलाए नहीं
भूल सकता
तुम्हारी वह
मधुरिम हंसी
गुलाब की/पंखुरी पर
छायाचित्र : अभिशक्ति गुप्ता |
ठहरी
04.
हम प्लेटफार्म बने
खड़े रहे
और समय/रूमाल हिलाता
पास से
गुजर गया
- झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001 (म.प्र.)/मो. 09685444352