समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 04 दिसम्बर 2017
रविवार : 24.12.2017
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
केशव शरण
01. एक दिन
एक दिन
प्रकृति मर जायेगी
रोयेगा ईश्वर
उसके बिन
तन्हा
02. मैं और तुम
मैं नहीं जानता
तुम्हारा पता
तुम कहाँ हो
लेकिन मैं हूँ यहाँ
अकेलेपन के नर्क में।
03. जीवन नया
अब जीवन नया
04. आकाश
आकाश दूर तक फैला है
लेकिन मैला है
05. धन्यता
सौ में
दो ने सुनी
कू-कू
धन्य हुई कोयल
- एस 2/564 सिकरौल, वाराणसी-221002, उ.प्र./मो. 09415295137
रविवार : 24.12.2017
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
केशव शरण
01. एक दिन
एक दिन
प्रकृति मर जायेगी
रोयेगा ईश्वर
उसके बिन
तन्हा
02. मैं और तुम
मैं नहीं जानता
तुम्हारा पता
तुम कहाँ हो
लेकिन मैं हूँ यहाँ
अकेलेपन के नर्क में।
03. जीवन नया
अब जीवन नया
04. आकाश
आकाश दूर तक फैला है
लेकिन मैला है
05. धन्यता
सौ में
दो ने सुनी
कू-कू
धन्य हुई कोयल
- एस 2/564 सिकरौल, वाराणसी-221002, उ.प्र./मो. 09415295137
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