समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 / 02 दिसम्बर 2017
रविवार : 11.12.2017
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
01.
कट गयी उम्र
करवटों में
रात की मानिंद
चँद बूँदों में सिमट गयी
प्यास
दरिया तो बस
यूँ ही खड़ा रहा।
02.
जब तेरी याद
रड़कती है
कलम पे कुछ
उग आता है
और काट देता है
फ़सल अक्षरों की
काग़ज की धरती पर।
03.
गई रात
छायाचित्र : आकाश अग्रवाल |
आसमां रोता रहा
धरती बन गई समंदर
सुबह
खिलखिला उठा नभ
धरा अब भी...
वैसी ही...
सम्हाले खड़ी है
पराया दर्द।
- आर जेड डब्ल्यू-208-बी, डी.डी.ए. पार्क रोड, राजनगर-2, पालम कालोनी, नई दिल्ली-77/मोबा. 09650267277
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