समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 07.05.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित हरीलाल ‘मिलन’ जी की क्षणिकाएँ।
हरीलाल ‘मिलन’
भूख
झुग्गी-झोपड़ियों में
चुपके-से आती है
किसी-न-किसी को
साथ लेकर/जाने कहाँ
चली जाती है!
02. आदमी
आदमी!
अधरों पर हँसी
03. भीतर का इन्सान
इन्सान के
भीतर का इन्सान
रो रहा है
क्योंकि बाहर का इन्सान
लाशें ढो रहा है!
04. शान्ति
मानव/बढ़ रहा है
हिंसा के सहारे
उस दिशा की ओर
जहाँ/न क्रान्ति है
न शान्ति है!
- 300 ए/2, (प्लॉट 16-बी), दुर्गावती सदन, हनुमन्तनगर, नौबस्ता, कानपुर (उ.प्र.)/मोबा. 09935299939
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