Saturday, March 4, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-44

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  05.03.2017


क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित श्री चिन्तामणि जोशी जी की क्षणिकाएँ। 


चिन्तामणि जोशी 





01. कलेण्डर

जब जो था
सब सच बताया
तीन सौ चौंसठ दिन
तुम्हें/अपने साथ बढ़ाया
जानता हूँ/आज मुझे
अपनी दीवार से
उखाड़ फेंकोगे
लेकिन
झूठ तो नहीं बोल सकता।


2. धोखा
नमी की कमी से
मृतप्रायः बीज ने
बादलों के तेवर देख
आज जो ली झपकी
पुनः उस पर
विकारों के घोल
आँसू की/एक बूँद टपकी।


3. कविता
जब/
भावनाओं का अतिरेक
छाया चित्र  : उमेश महादोषी 
मानव सुलभ विवेक
मनोमस्तिष्क को/संतृप्त करता है
तब
कल्पना एवं विचारों का तारतम्य
क-वि-ता बनकर
कल्पतरु की तरह
कामनाओं को/तृप्त करता है।

4. खुशियों के पंछी
एक मुद्दत के बाद
आज मेरे घर की ओर
उड़े थे
खुशियों के पंछी
वक्त तेरी बेरहम
निगाह से वे डर गये
मेरे घर पहुँचे नहीं
तू जान/किसके घर गये।

  • देवगंगा, जगदम्बा कॉलोनी, पिथौरागढ -262501, उ.खंड/मोबा. 09410739499

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