समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 19.03.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित सुश्री ऋता शेखर ‘मधु’ जी की क्षणिकाएँ।
ऋता शेखर ‘मधु’
01.
निश्कंप थी लौ
दृढ़ विश्वास संग
कुछ यूँ जली
आँधियों की कोशिश
नाकाम कर गई।
02.
डैने कमजोर थे
निरीह था फाख्ता
मन का मजबूत था
उड़ा बेसाख्ता।
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
03.
झनके कँगना
मेंहदी भी न छूटी
लीप रही अँगना।
04.
क्यूँ कभी-कभी
निर्दाेष होकर भी
खुद को पाते
कटघरे में स्तब्ध
हो जाते निःशब्द।
- Flat No.- 206, SKYLARK TOPAZ Apartments, 5th Main, Jagdeesh Nagar, Near BEML Hospital, New Thippasandra Post, Banglore-560075
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