समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 12.03.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित सुश्री सीमा स्मृति जी की क्षणिकाएँ।
सीमा स्मृति
01. कल्पना
सुख के पंख होते हैं
उड़ा जा सकता है-
अंतहीन असीमित
इसी भ्रम में
दुःख की परत दर परत
हम ओढ़ते चले जाते हैं।
02.
वो तूफान था
हवा समझ/पल भर
जिया जो भ्रम
वो/नयनों में नमी
ताउम्र की दे गया।
छाया चित्र : उमेश महादोषी |
03.
स्मृतियों के बीच
दुबका मन
कब तक जियेगा
दूब के अन्दर
पल रहे
पेड़ होने का भ्रम।
04.
एक सत्य
बेल से लिपटे सर्प-सा
मन की देहरी पे
सरसराने लगा
लम्बी खामोशी
गूंजती रही फुंकार
कुछ सर्प-
बिल नहीं खोजा करते।
05.
मिलती है हँसी
शर्ताे पे
मुस्कान के लिए
इक आइना ही काफी है।
- जी-11, विवेक अपार्टमेंट, श्रेष्ठम विहार, दिल्ली-110092/मोबा. 09818232000
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