समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /229 मई 2022
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 22.05.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 22.05.2022
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
शिव डोयले
01. पतझड़
जब भी
मौसम आयेगा
डालें सूनी होकर
रह जायेंगी
पतझड़ में
टूटंेगे पत्ते
हवा जाने कहाँ
ले जायेगी!
02. सौंदर्य-2
फिर नीम के
पत्तों से
उतरती है
आँगन में धूप
लगा तुमने
हाथों में
रचा ली मेंहदी
निखर आया रूप!
03. बसंत
बसंत ही है
जो जड़ और
चेतन में
पैदा कर देता है
प्रेम
आम और नीम
इसी तरह
खिलते देखा है
04. दूरी
हमारे सीने में भी
आग है
तुम अपनी
घासलेट नजरें
दूर करो, वरना
धधक जायेगी
- 19, झूलेलाल कॉलोनी, हरीपुरा, विदिशा-464001, म.प्र./मो. 09685444352
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