समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /168 मार्च 2021
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 21.03.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 21.03.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
भावना कुँअर
01. पहरे
मेरी आँखों पर
इतने पहरे
पहले तो न थे
देख सकती थी मैं भी
खूबसूरत ख़्वाब
पर अचानक क्या हुआ...
जो निकाल ली गई
इनकी रोशनी
और अब तो ये
रो भी नहीं सकती।
02. स्याह धब्बे
आँखों के नीचे
दो काले स्याह धब्बे
आकर ठहर गये
चित्र : प्रीति अग्रवाल |
जाने का
न जाने क्यों
उनको
पसंद आया
ये अकेलापन।
- सिडनी, आस्ट्रेलिया
- भारत में : द्वारा श्री सी.बी.शर्मा, आदर्श कॉलोनी, एस.डी.डिग्री कॉलिज के सामने, मुज़फ़्फ़रनगर (उ.प्र.)
- ईमेल : bhawnak2002@gmail.com
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