Sunday, November 22, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /151                       नवंबर 2020



क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}


रविवार  : 22.11.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


नारायण सिंह निर्दाेष





01. सामाजिक-विकास

हम ठहरे

पुराने ज़माने के लोग;

प्यार से खींचिए

अगर इनके गाल

तो खि़लाफत पर उतर आते हैं

बच्चे।


12. एक अलग सुबह


रात भर चलते रहने के बाद

जब होती हुई

एक सुबह को देखा,

तो वह सुबह/और सुबहों से

कुछ अलग-सी दिखी।


पथरीले फर्श को तोड़कर

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

उग आई

वह मुलायम दूब

मुझे बहुत अच्छी लगी।


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