समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /150 नवम्बर 2020
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 15.11.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
ज्योत्स्ना शर्मा
देखे...
हवाओं के सितम
और जागती रही
बेचैन रात....
ख़्वाहिश में,
चैन से सोने की
तेज़ी से...
भागती रही।
02.
हौले से सहला,
आ ..तुझे गोद में
प्यार से सुलाऊँ...
बदन निष्कम्प !
काँपती रूह को
03.
दूर क्षितिज में
करता वंदन
नभ नित
साँझ-सकारे
प्रतिपूजन में
धरकर दीप धरा भी
मिलती बाँह पसारे!
- एच-604, प्रमुख हिल्स, छरवाडा रोड, वापी, जिला-वलसाड-396191, गुजरात/मो. 09824321053
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