Sunday, June 21, 2020

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /129                            जून  2020



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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 21.06.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


वंदना गुप्ता









01.

टूटने से पहले टूट जाये जो
जुड़ने से पहले जुड़ जाये जो
वो है
आस्था-अनास्था, 
विश्वास-अविश्वास से परे... एक स्त्री!

02.

बरसों से बंद लिफ़ाफ़े
किसी ने खोले ही नहीं
आज जब खोली दराज़
पीली पड़ गयी थी तहरीर
मगर जब पढ़ना चाहा
हर हर्फ़ को वक्त की दीमक
चाट चुकी थी
भुरभुरी रेत में से
लफ़्ज़ों की रूह
कैसे उठाती? 

03.

कुछ तसव्वुर 
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता 

सिर्फ़ ख्यालों की धरोहर ही होते हैं
आकार पाते ही नहीं...
लफ़्ज़ भी बेमानी हो जाते हैं वहाँ

और तुम परे हो इन सबसे
ना लफ़्ज़, ना आकार, ना रूप, ना रंग
मगर फिर भी हो तुम यहीं कहीं
मेरे हर पल में, हर साँस में, हर धडकन में
बताओ तो ज़रा 
बिना तसव्वुर की मोहब्बत का हश्र

पानी का भी कोई आकार होता है क्या...

  • डी-19, राणा प्रताप रोड, आदर्श नगर, दिल्ली-110033/मो. 09868077896

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