Sunday, February 25, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/321                  फरवरी  2024

क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 25.02.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


 

उमेश महादोषी




01.


रोटी की बात करते-करते

भूख

रोटी के खिलाफ 

खड़ी हो जाती है

सच तो यह है-

रोटी को गले से उतारकर

भूख नशे की तरह चमकती है

और फैलती चली जाती है!


02.


मजदूरों का 

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
छोटा-सा संसार है

जिसमें- सितारों से कुछ नारे हैं

नारों में भूख

और भूख में अधिकार हैं

अधिकार 

सारे रोटी पर सवार हैं!

  • 121, इंदिरापुरम, निकट बीडीए कॉलोनी, बदायूं रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004

Sunday, February 18, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/320                  फरवरी  2024

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रविवार  : 18.02.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



चक्रधर शुक्ल




01.


ख़ून के छींटे 

गवाही देते,

क़ातिल 

स़फाई देते!


02.


लालसा ने

ऐसा खेल रचा,

स्वयं फसा!


03.


छायाचित्र : उमेश महादोषी 
सीख देना

आजकल के समय में 

अभिशाप,

बेटा, बेटा नहीं 

बाप!

  • एल.आई.जी.-1, सिंगल स्टोरी, बर्रा-6, कानपुर-208027(उ.प्र)/ मो. 09455511337

Sunday, February 11, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/319                  फरवरी  2024

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रविवार  : 11.02.2024
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अशोक ‘आनन’





01.


पेड़!

तेरे साथ 

पतझड़ में-

न पत्ते रहे, न फूल।

पगले!

फ़िर क्यों...

तुझे इतना नाज़ है...!


02.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 


पेड़!

तू इतना भी ग़म न कर।

याद रख-

पतझड़ के बाद 

मधुमास भी आता है।

  • 11/82, जूना बाज़ार, मक्सी, जिला शाजापुर-465106, म.प्र.

Sunday, February 4, 2024

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका              ब्लॉग अंक-03/318                  फरवरी  2024

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रविवार  : 04.02.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

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 कंचन अपराजिता



01.


तुम अपनी जुबां से

बार-बार जो मेरा

नाम लेते हो

तुम्हारे हर शब्द पर

मेरा दिल 

मनका बन जाता है


02.

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

जो जिह्वा 

शब्द तोलती है

तोलकर बोलती है

वो कर्ण में

शहद ही घोलती है।

  • 39/1ए सिन्दूर ग्रीन पार्क, जयचन्द्रन नगर, पालीकरनाय, चेन्नई-600100, त.नाडु

(39/1, Sindur green park, Jayachandran Nagar, Pallikarnai, Chennai-600100, T. Nadu)