समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/321 फरवरी 2024
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
उमेश महादोषी
01.
रोटी की बात करते-करते
भूख
रोटी के खिलाफ
खड़ी हो जाती है
सच तो यह है-
रोटी को गले से उतारकर
भूख नशे की तरह चमकती है
और फैलती चली जाती है!
02.
मजदूरों का
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया |
जिसमें- सितारों से कुछ नारे हैं
नारों में भूख
और भूख में अधिकार हैं
अधिकार
सारे रोटी पर सवार हैं!
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