समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/316 जनवरी 2024
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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 21.01.2024
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अनीता ललित
01.
बनकर जियो ऐसी मुस्कान...
कि... हर चेहरे पर खिलकर राज करो...!
न बनना किसी की...
आँख का आँसू...
कि गिर जाओ... तो फिर उठ न सको...!
02.
मेरी नींदें मुझसे खफा हो जाती हैं...
मेरी पलकों में तुम...
ख्वाब बन के समाया न करो...!
चित्र : प्रीति अग्रवाल |
03.
भीगे-भीगे जज़्बात...
तेरी यादों की धूप में...
सीली-सीली सी महक...
एक जलतू बजूद में...
- 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.
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