समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03/317 जनवरी 2024
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
मिथिलेश दीक्षित
01.
खाली हाथ
अगर हो पाते
तो अवश्य
कुछ लेकर जाते!
02.
एक फूल
देखा बचपन में
आज तलक
खिला हुआ है
मेरे मन में!
03.
सामयिक
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
तीखी है
प्रतिक्रिया और
तीक्ष्ण प्रतिरोध!
- जी-91,सी, संजयपुरम लखनऊ-226016 (उ.प्र.)