समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /192 सितम्बर 2021
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.09.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 05.09.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
अनीता ललित
01.
भावनाओं का हिलोरे मारता सागर...
क्यूँ हो गया जड़...
तेरा अंतर्मन...?
समेट लो, सिमट लो...
इन लहरों के अंदर....
क्या जाने... किस ओर बह जाए फिर जीवन...
02.
तुम अगर साथ दो...
तो दुनिया से जीत सकती हूँ मैं....
तुमने मुँह मोड़ा....
तो खुद से ही हार जाती हूँ....
छायाचित्र : उमेश महादोषी |
बना लो चाहे जितना...
ऊँट घोड़ा पालकी...!
जिंदगी है...
वसूलेगी कर्ज...
तोड़कर कमर..
हर गुजरते साल की...!
- 1/16, विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ-226010, उ.प्र.
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