समकालीन क्षणिका ब्लॉग अंक-03 /141 सितम्बर 2020
क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-
01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}
रविवार : 13.09.2020
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!
केशव शरण
मैं चिलचिलाती धूप में नहीं हूँ
मैं तपते टिन के नीचे हूँ
गरमी से बिलबिलाता
सोचता हूँ पेड़ के नीचे चला जाऊँ
कहाँ मेरा छाता
02. समझ में नहीं आता
धर्म कहाँ होगा?
राजनीति कहाँ जायेगी?
व्यापार का क्या होगा?
समझ में नहीं आता
बुराइयाँ
कैसे ख़त्म होंगी?
- एस 2/564 सिकरौल वाराणसी-221002/मो. 09415295137
No comments:
Post a Comment