Sunday, February 26, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-43

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016




रविवार  :  26.02.2017


क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित अशोक दर्द जी की क्षणिकाएँ।


अशोक दर्द





01.
कबाड़ की कीमत
जब कलेजे के टुकड़े से 
ज्यादा लगाई जाती है
तब जरूर कहीं न कहीं
रेखाचित्र  : उमेश महादोषी 
कोई बेटी गरीब की
जिन्दा जलाई जाती है।

02.
बगावत का पाँखी
शोषण के विरुद्ध
दूर तक उड़ा,
माँ-बीबी-बच्चों के पेट
याद आते ही
तुरन्त वापस मुड़ा।

  • प्रवास कुटीर, गाँव व डाक बनीखेत, तह. डलहौजी, जिला चम्बा-176303(हि.प्र.)/मो. 09418248262

Monday, February 20, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-42

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  19.02.2017
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित श्री सिद्धेश्वर जी की क्षणिकाएँ।  



सिद्धेश्वर




01. साम्प्रदायिकता
उसकी तिलमिलाहट
भूख और वहशीपन में 
कोई फर्क नहीं पड़ता
साम्प्रदायिकता का दानव
धरती की छाती फाड़कर निकले
या उतर आए आकाश से!

02. भटकाव
और कितना भटकेगा मन?
यादों की मीनार पर
मिलती नहीं मंजिल
थक जाता है तन!

03. अभाव का मौसम
अभावों का खाकर तमाचा
शृंगारिक चेहरा हो गया कुरूप!
वासंती जीवन में
आग बनकर उतर आई है धूप!

  • अवसर प्रकाशन, पो. बा. नं. 205, करबिगहिया, पटना-800001(बिहार)/मोबा. 09234760365


Sunday, February 12, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-41

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  12.02.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित डॉ.शैलेष गुप्त ‘वीर’ की क्षणिकाएँ। 



शैलेष गुप्त ‘वीर’ 




01.
धूप/धरती से
मिलने चली,
आज/कोहरे की
एक न चली!

02.
मैंने जी भर
निहारा सौन्दर्य
पाकर स्नेहिल निमन्त्रण
राख हो गये प्रणय-प्रण!

03.
हवा बहकी
निशा चहकी
महका कोना-कोना,
बेचैन करे
तितलियों का रोना!

04.
रेखाचित्र : रमेश गौतम 

वैश्विक शक्तियाँ
तिरंगे तले आयेंगी,
मेहनत रंग लायेगी!

05.
बेटों की मुस्कान के लिए
माँ टुकडों में बँट गयी,
ज़िन्दगी कट गयी!

  • 24/18, राधा नगर, फतेहपुर (उ.प्र.)-212601/मोबा. 09839942005

Saturday, February 4, 2017

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-40

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016



रविवार  :  .05.02.2017

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित मंजूषा दोषी ‘मन’ जी की क्षणिकाएँ।  



मंजूषा दोषी ‘मन’





01.
स्वप्न,
पलकों के भीतर
किरचें बन चुभते
इन स्वप्नों में/हम हैं फंसते।

02.
कितने पत्ते शाख से
जुदा हो जाएंगे

जब झूमके 
चलती है हवा
तो कहाँ सोचती है!

03.
दिल के भीतर
बस थी एक/चारदीवारी
रेखाचित्र : राजेन्द्र परदेसी
दरवाजा अगर होता
तो आती दस्तक!

04.
मन,
ऊबा-ऊबा है
जाने क्या है जो
मन में चुभा है।

05.
धड़कन,
थमी-थमी सी है
बार-बार लगता है
जैसे कुछ कमी सी है।


  • अम्बुजा सीमेंट फाउ., अम्बुजा कॉलोनी, ग्राम-रवान, जिला बलौदा बाजार-493331,छ.गढ़/मो. 09826812299