Sunday, October 23, 2016

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-18

 समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  23.10.2016

क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित डॉ. रमा द्विवेदी  जी की क्षणिकाएँ।



रमा द्विवेदी 




01. लक्ष्मण रेखा
एक लक्ष्मण रेखा,
क्या लाँघी?
सीता हरण हो गया,
भयंकर राम-रावण युद्ध,
एक युग का अन्त। 

02. परिधियाँ 
ज़िन्दगी के अनुभव 
प्राप्त करने के लिए 
संकुचित परिधियों का
छाया चित्र :  उमेश महादोषी 
टूटना जरुरी है 
स्वयं को आजमाना ही 
हौसले का पर्याय है।

03. आभासी प्रेम 
आभासी दुनिया का प्रेम 
एक छलावा है, माया है 
जो प्रेम का सिर्फ
आभास दे सकता है 
जैसे मरुस्थल की 
मृगतृष्णा।

04. पत्थर
पत्थर में भी 
होती है संवेदना 
तभी तो ईश्वर की 
हर मूर्ति पत्थर से 
गढ़ी जाती है और 
अद्भुत सौंदर्य पा जाती है। 
  • फ़्लैट नं.102, इम्पीरिअल मनोर अपार्टमेंट, बेगमपेट, हैदराबाद-500016/मोबा. 09849021742 

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