समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रविवार : 16.10.2016
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’ के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित रंजना भाटिया जी की क्षणिकाएँ।
रंजना भाटिया
तेरी आमद
बसंत सी
जैसे भूला हुआ
कोई मुसाफिर
ज़िन्दगी का ख़त
पुराने पते पर दे जाए
02.
लिखे आखर
काली स्याही से
कागज़ पर
उतरे भाव मन के
जैसे सफेद फूल
03.
बसंत
तेरा आना
सबब है
04.
मैं धरती
बंधी हुई
कालखंडो में
अपनी ही राह पर
अपनी ही धुरी पर घूमती
खुद में ही खुद को समेटे
निःशब्द सी.....
और विस्तृत आकाश से
फैले हुए हो तुम ही तुम
मेरे चारों तरफ!!
- सी-1/121/1, ग्राउन्ड फ्लोर, लाजपतनगर-1, नई दिल्ली-24
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