Sunday, April 25, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /173                      अप्रैल 2021

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 25.04.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!   


कंचन अपराजिता


पलायन : कुछ क्षणिकाएँ

01. 


ये दर्द बेहिसाब से

जाने कैसे इनसे

गुजर रहे हैं लोग,

वक्त ने दिखाया 

सबकुछ छलावा है।

भूख भूख भूख...

अंतिम सत्य यही है।


02.

कुछ व्यथा की 

कथा 

क्यों अंतहीन 

रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

होती जा रही है

हे ईश्वर!

रहम कर....


03.

भूख से बिलखते

जो देखा उसे..

अपने हाथों की रोटी 

बेस्वाद-सी लगी

जो उसे न दे सके।

  • 39/1ए सिन्दूर ग्रीन पार्क, जयचन्द्रन नगर, पालीकरनाय, चेन्नई-600100, त.नाडु

Sunday, April 18, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /172                     अप्रैल 2021

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रविवार  : 18.04.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  

 

शैलेष गुप्त ‘वीर’



01.


उदासी को डस्टबिन में

फेंक कर

चंदा और सूरज

ख़ुशियों की आइसक्रीम

साथ-साथ खायेंगे,

हमेशा मुस्कुरायेंगे!


02.


इधर हृदय-थाल में 

रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 

रोली-कुमकुम-अक्षत है,

उधर दुर्घटना 

और बहू का

हर सपना

क्षत-विक्षत है!

  • 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005

Sunday, April 11, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /171                     अप्रैल 2021

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रविवार  : 11.04.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


नरेश कुमार उदास





01.


जब भी आइने में 

देखता हूँ अपना चेहरा

तो डर जाता हूँ

अपने भीतर 

और बाहर के रूप में

अन्तर देखकर!


02.


ओस से नहाती है

जब दूब

मेरे मन में

खुशी होती है खूब।


03.

छायाचित्र : उमेश महादोषी 

इन्द्रधनुष के रंगों से 

आकाश रंगीन हो उठा

और मेरा मन भी

रंगीन सपनों के

ताने-बाने बुनने लगा।

  • अकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि.  जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718 

Sunday, April 4, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /170                        अप्रैल 2021

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रविवार  : 04.04.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!  


रमेशकुमार भद्रावले



01. स्पर्श 

पारस,

तो, आज-कल

शहर भी,

होते हैं,

जमीं को

छू लें 

तो,

सोना बना

देते हैं!

02. मुआवजा

कीड़ा 

आम की गुठली में

क्या निकल गया

गुठली को

मुआवजे का

हक मिल गया!

03. सायफन

पानी और आदमी का

पल-पल का साथ है,

छाया चित्र : प्रीति अग्रवाल 

काश,

पानी का सिर्फ एक गुण

आदमी में आ जाता,

आज,

आदमी,आदमी की सतह

बराबर कर पाता!

  • गणेश चौक, हरदा, म.प्र./मो. 09926482831