Sunday, September 29, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 91                सितम्बर 2019


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रविवार : 29.09.2019
        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

शील कौशिक 





01.  सजीव हो उठती है

धरती को जब बारिश की बूदें छूती हैं
सजीव हो उठती है धरती
छमाछम बरसती बूँदे नाचती हैं
और धरती हर्षा कर
समो लेती है उन्हें
अपने आगोश में

02. झाँकता नीला आसमान

घने सफेद बादलों के बीच
चित्र : प्रीति अग्रवाल


झाँकता नीला आसमान
मन को कुछ यूँ भाया
ज्यूँ बरसों बाद
पुराने मित्र का चेहरा
खिला हुआ सामने आया

03. सम्पदा पहाड़ की

नाग बूटी सम्पदा है पहाड़ की
पहाड़ देते हैं पनाह सर्पों को
और हम पालते हैं केवल सर्प इच्छाएँ

  • मेजर हाउस नं. 17, हुडा सेक्टर-20, पार्ट-1, सिरसा-125055, हरि./मो. 09416847107  

Sunday, September 22, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 90                सितम्बर 2019


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रविवार : 22.09.2019
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       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


केशव शरण



01. जनम-मरण

मैं कब पैदा हुआ
तुम कब

हमारा नया जनम हुआ
हम मिले जब

हमारा मरण
साथ हुआ
बस तुम पहले
मैं कई बरस बाद
राख हुआ

02. मेरा चाँद

जिस चाँद को
मैं इतना प्यार करता हूं
उसे खाना चाहते हैं
भूखे लोग
उस पर
क़ब्ज़ा जमाना चाहते हैं
रूखे लोग

बड़ी कठिन लड़ाई है
आसान नहीं आशनाई है

03. उसकी मर्ज़ी, उसकी रज़ा


रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी  
इश्क़ की इबादत
क़ुबूल करे
न करे,
इश्क़ की सदाएँ
सुने, न सुने
उसकी मर्ज़ी
उसकी रज़ा है

हुस्न
ख़ुद में ख़ुदा है

  • एस-2/564 सिकरौल, वाराणसी-221002, उ.प्र./मो. 09415295137

Sunday, September 15, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 89                सितम्बर 2019


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रविवार : 15.09.2019
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सत्या शर्मा ‘कीर्ति’






01.

तुम हो मेरे
अनन्त आकाश 
और मैं धरा की
कोमल दूब सी
बरसे तेरा प्यार
मुझपे यूँ
जैसे ओस बून्द हो
वसंत ऋतु सी

02.

ये मोती-सी ओस
चन्द क्षणों में
पूरा करके जीवन
समा जाती 
धरती की गोद में
देने किसी पौधे को
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता 
नया जीवन

03.

चाँद ने भेजे थे
चाँदनी के हाँथों
जो अनगिनत से सितारे 
वो
झिलमिलाते 
ओस में ढल
धरती की
प्यास बुझा गए।

  • डी-2, सेकेंड फ्लोर, महाराणा अपार्टमेंट, पी. पी. कम्पाउंड, रांची-834001, झारखण्ड/मो. 07717765690

Sunday, September 8, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 88                सितम्बर 2019


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रविवार : 08.09.2019
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नरेश कुमार उदास








01.

कुछ टूटे हुए सपने
कुछ दर्दीले किस्से
आये हैं
इस जीवन में
सिर्फ मेरे हिस्से

02.

उदास दिनों में
अनायास ही
फूट पड़ते हैं
कण्ठ से
कुछ दर्दीले गीत
और मन 
बोझिल सा हो जाता है।

03.

तुम्हारे स्पर्श से
पिघल गया हूँ
पहले मैं पत्थर था
अब मोम बन गया हूँ।
रेखाचित्र  (सौ.) : डॉ. संध्या तिवारी 


04.

प्रेम की भाषा
निशब्द भी
उतर जाती है
मन में
कहीं गहरे तक
अनपढ़ भी-
इसे झट समझ लेते हैं।

  • अकाश-कविता निवास, लक्ष्मीपुरम, सै. बी-1, पो. बनतलाब, जि.  जम्मू-181123 (ज-क)/मो. 09419768718

Sunday, September 1, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 87                सितम्बर 2019


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रविवार : 01.09.2019

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       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


राजेश 'ललित’ शर्मा








01.

कभी यूँ भी
चले आते हैं
वजह हो हर बार
ज़रूरी तो नहीं।

02.

तुम भी थे
हम भी थे
महफ़िल फिर भी
लगी सूनी सी!

03.

दो पल चैन के
रेखाचित्र : रीना मौर्या "मुस्कान"
बख्श  यारब
ये बेचैनियाँ अब,
सँभाली नहीं जाती।

04.

नींद से बोझिल थी आँखें 
ख़्वाब सारे ले उड़ा कोई
करवटें बदलती रही नींद
ख़्वाब थे कि लौटकर
न आये कभी।

  • बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484