Sunday, October 27, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 95                 अक्टूबर 2019


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01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }

रविवार : 27.10.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


उमेश महादोषी



01.

टूटे दिये
जुड़ जायें
और 
भोले बाबा
विष 
पचाएँ
तब कहीं 
हम दीपावली मनाएँ!

02.

धुएँ का विष 
साँसों में भर रहा है
संकल्प है मगर
जीवन का
एक दीपक
फिर भी
जल रहा है!
रेखाचित्र :
कमलेश चौरसिया
 

03.

हवा कराहती है
आकाश रोता है
दीपक 
दोनों के 
आँसू ढोता है
प्रकाश के आँगन में
अब
ऐसा ही होता है!

  • 121, इन्द्रापुरम, निकट बी.डी.ए. कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ.प्र./मो. 09458929004

Sunday, October 20, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 94                 अक्टूबर 2019


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रविवार : 20.10.2019
 ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

संतोष सुपेकर



01.
पहली बार जमीन पर
लकीर खींचे जाते वक्त
जमीन रही होगी
सहज, सामान्य
धमाकों से पूर्व लहरा रही
किसी दीपक की लौ की तरह
उसे अंदाजा नहीं होगा
लकीरें खींचे जाने की 
भयावहता का

02.
लकीरों का 
नाता रहा है
तनावों से
लकीरें खींचे जाते वक्त


पेशानी पर 
आ ही जाती है
एकाद लकीर! 
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 


03.
लकीर का फकीर होना
अच्छा है या नहीं
आधुनिक है, समय के हिसाब से
अपडेट कल्चर है
क्योंकि आजकल
होता यही है
लोग निकल जाने देते हैं 
सांप को
और पीटते रहते हैं
लकीर

  • 31, सुदामानगर, उज्जैन-456001 म.प्र./मो. 09424816096 

Sunday, October 13, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 93                 अक्टूबर 2019


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रविवार : 13.10.2019
        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



कृष्णा वर्मा





01.

ठंडे होने लगें रिश्ते
तो लगा दो आग
ग़लतफहमियों को।

02.

अक्सर
खोटे लोग ही देते हैं
खरे सबक।

03.

अहम का तूफ़ान
चित्र : प्रीति अग्रवाल 
ले डूबता है
हस्ती की कश्ती।

04.

हमारे अपने ही
अभ्यास का
परिणाम होती हैं
हमारी धारणाएँ।

05.

सावनी रुत
बारिशों के पत्र
डुबोएँ बेटियों को
पीहर की यादों में।

  • 62, हिलहर्टस ड्राइव, रिचमंड हिल ओन्टारियो, एल 4 बी 2 वी 3, कनेडा 
ईमेल: kvermahwg@gmail.com

Sunday, October 6, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद


समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 92                 अक्टूबर 2019


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रविवार : 06.10.2019
        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
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लता अग्रवाल 







01. 

इन आँखों का सूनापन 
भाँप गये देखो 
गली चौबारे 
गुमसुम से बैठे हैं देखो 
देहरी और दुवारे।

02.

विश्वास की नैय्या 
दरक रही है 
किससे आस लगायें
सोच रहे हैं बापू 
अब तो ईश्वर
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 

पास बुलाये। 
  
03.

खुशनसीब हैं
जो पल रहे हैं
साये में
कुनकुनी धूप के
कमनसीबी
क्या कहें 
फटक दिए गए
हम नियति के 
सूप में।

  • 73, यश बिला, भवानी धाम फेस-1, नरेला शन्करी, भोपाल-462041, म.प्र./मो. 09926481878