Sunday, April 28, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 69               अप्रैल 2019

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श क्षणिका विमर्श }
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रविवार : 28.04.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

ज्योत्स्ना प्रदीप






01.

कल
लोगों से
अपने दोस्त का
पूछा पता था 
हर आँख में
क्यों शक़ का
धुआँ था !

02.

समय
ये रंग भी
दिखलाता है
लोगों से घिरा
शख़्स ही
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
तन्हाई की ग़ज़ल
गाता है!!

03.

गुलाब का अंदाज़
बड़ा सरीखा
हँसकर 
शबनमों को
छुपाने का हुनर
न जानें उसने
कहाँ से सीखा!

  • मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792

Sunday, April 21, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 68               अप्रैल 2019


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रविवार : 21.04.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



सुरेन्द्र वर्मा








01. टूटता है तारा

चाँद की तरह
रेख बनाता हुआ प्रकाश की
धीरे धीरे अस्त नहीं होता
अचानक कहीं टूटता है तारा
चीर जाता है छाती आकाश की

02. कैक्टस

एक अरसे बाद
उस पर एक फूल खिला
रेखाचित्र : डॉ. सुरेंद्र वर्मा 
कैक्टस पर कटीला
मैं अपना कटाक्ष 
भूल गया!

03. सांध्य बेला में

जीवन भर छिपाता रहा
कहा भी तो सिर्फ संकेत से
लेकिन इस सांध्य बेला में
अब कोई बाधा नहीं है
कथन सहज हो गए हैं


  • 10 एच आई जी, 1, सर्कुलर रोड, इलाहाबाद-211001, उ.प्र./मो. 09621222778

Sunday, April 14, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 67               अप्रैल 2019


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रविवार : 14.04.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!

पुष्पा मेहरा 






01. 

ऊँची से ऊँची सीढ़ियाँ चढ़ना, 
गहरी-गहरी खाइयाँ फाँदना
मेरी आदत हो गई है,
लोग कहते हैं-
‘तुम निडर हो गई हो...‘

02.  

हथौड़े ही तो थे 
इस्तेमाल के तरीक़े थे कि
रेखाचित्र : राजेंद्र परदेसी 
एक ने ताला तोड़ा  
दूसरे ने,
आग में तपे लोहे पर वार कर, 
उसे नया आकार दिया!!

03. 

बबूल से तो बचकर निकल गई 
पर चलती सड़क पर 
विषधरों से बचना
थोड़ा मुश्किल लगा... 

  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598


Sunday, April 7, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 66               अप्रैल 2019


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रविवार : 07.04.2019

        ‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
       सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



ज्योत्स्ना प्रदीप 







01.
पहाड़ों पर 
किसी ने 
सुन्दर चित्र बनाया था 
फिर उस पर 
लहू कैसे उतर आया था !

02.

ताबूत की छाती 
ग़मगीन थी 
अभी देखना था 
उसे 
कई कालेजों को 
रेखाचित्र : कमलेश चौरसिया 
फटते हुए !


03. इन्तज़ार 

ख़ौफ़ से टूटते 
पत्ते चिनार के 
ढूँढ रहे है 
आज भी निशाँ 
प्यार के !!

  • मकान-32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792