Sunday, January 31, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /161                       जनवरी 2021

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01. समकालीन क्षणिका विमर्श { क्षणिका विमर्श}
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श}

रविवार  : 31.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


ज्योत्स्ना  प्रदीप


01.

किसकी तपिश में

पिघलाएँ ये 

आँसू जमे-जमे

हर शख्स की आँखों में

जब

छिपी हों शबनमें!


02.


कामयाबी 

खुद हैरान..

दरख्तों की जगह पर

बेख़ौफ़ कब्ज़ा कर रही हैं 

बेदर्द इमारतें 

आलीशान!

रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता

03.

इक मंज़र

ज़िन्दगी में ऐसा 

आ ठहरा...

कभी पत्थर में पाया देवता

तो कभी देवता 

पत्थर सा बहरा!

  • 32, गली नं. 09, न्यू गुरुनानक नगर, गुलाब देवी हॉस्पिटल रोड, जालंधर-144013, पंजाब/मो. 07340863792

Sunday, January 24, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /160                       जनवरी 2021

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रविवार  : 24.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


उमेश महादोषी



01.

वर्षो से ढूँढ़ रहा हूँ
वो नहीं दिखता
मेरी आँखों के सामने से
निकल जाता है
इक गंध का गुब्बारा
मुझको क्यों नहीं दिखता...


02.

समय कपड़े बदल रहा है
थोड़ी देर को मुँह फेर लो भाई
नयी ड्रेस को 
नज़र न लग जाये कहीं!

03.

तुम्हारे चेहरे की लालिमा
अवकाश पर है
कोई बात नहीं
मैं ही थोड़ा हँस दूँगा
घूँघट हटने तो दो
‘आहट’ का!

04.

ये किसे बुलाता है समय, तू!
नहीं जानता
वो एक लठैत की तरह आयेगा...
ऐसा कर भाई!
एक अगरबत्ती सुलगा...
तेरे घर आयेगा
ईश्वर ऐसे ही आयेगा!
-121, इंदिरापुरम, निकट बीडीए कॉलोनी, बदायूँ रोड, बरेली-243001, उ. प्र./ मो. 09458929004

Sunday, January 17, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /159                       जनवरी 2021

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रविवार  : 17.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 



पुष्पा मेहरा





01.

आने दो रोशनी 
अँधेरे में कोई भी चेहरा 
नज़र नहीं आता। 

02.

ढेर जंगल बीच 
(जीवित नहीं, मृत )
अकेला मन और 
रेखाचित्र : मॉर्टिन जॉन 
बोझ बन लदी 
धूल फाँकती इच्छाएँ 
बियाबान में खड़ा ज्यों बहेलिया!!

03.

कैसा ये बाँध था 
अचानक टूटा
मैं जाग भी न पाई 
कि, मुझे रातों-रात 
शहर से बाहर डाल दिया!!
  • बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-92/फ़ोन 011-22166598

Sunday, January 10, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

 समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /158                       जनवरी 2021

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रविवार  : 10.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


शैलेष गुप्त ‘वीर’





01.

थम गया दिन

रुक गयी घड़ी,

‘सुप्रभात सहेली’ के 

प्रत्युत्तर की

प्रतीक्षा में,

सुबह का सूरज!


02.


देह के सौन्दर्य से

महत्वपूर्ण है-

‘हम’ के सौन्दर्य को

समझना,

आओ समझें हम!


03.

रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी 


भावों की अभिव्यक्ति

कृत्रिम न प्रमाणित हो,

आओ उकेर दें-

काल की शिला पर

अपनी प्रीति के

कुछ अमिट निशान!

  • 24/18, राधा नगर, फतेहपुर-212601, उ.प्र./मो. 09839942005

Sunday, January 3, 2021

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका                      ब्लॉग अंक-03 /157                       जनवरी 2021

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रविवार  : 03.01.2021
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।

सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है! 


नारायण सिंह निर्दाेष




01. मसअले


सभी मसअले

यदि हों

तो सिर्फ़ दिल के;

ताकि/वो सुलझ जाएँ

थोड़ा-बहुत

ना-नुकुर करने के बाद।

बाद इसके

फिर कुछ भी

न रह जाए याद।


02. मौत पर विलाप


मैं नहीं चाहता

कि अपनी या किसी और की 

मौत पर

करूँ विलाप

रेखाचित्र : राजेंद्र परदेसी 
और रूढ़िवादी कहलाऊँ।

इसलिए मैं

अमुक व्यक्ति के

शव आसन में लेटा होने की बात

कहकर लौट आया हूँ।

भीड़ मुझे तलाशने में जुटी है।

  • सी-21, लैह (LEIAH) अपार्टमेन्ट्स, वसुन्धरा एन्क्लेव, दिल्ली-110096/मो. : 09650289030