Sunday, November 24, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 99                 नवम्बर 2019


क्षणिका विषयक आलेखों एवं विमर्श के लिए इन लिंक पर क्लिक करें-

01. समकालीन क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }
02. अविराम क्षणिका विमर्श {क्षणिका विमर्श }

रविवार : 24.11.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!



जयसिंह अलवरी 




01. घुटन

बन्द मकानों में
अब जिन्दगी
पल-पल घुटती है
कभी दरवाजे
और कभी छत से
धुँआँ की रेख उठती है!

02. वे जानते हैं

दिल में दर्द
आँखों में आँसू
और हाथों में हैं
छाले जिनके
वे जानते हैं-
तड़प, घुटन, सिसक 
सबको
क्योंकि- जीने के लिए
वे रोज इन्हें सहते हैं!
रेखाचित्र : (स्व.) बी.मोहन नेगी 

03. जब-जब

जब-जब
रावण का पुतला
जला है
असली रावण हँसा है
और ताल ठोंक के
निर्भय
सबके बीच बसा है!

  • न्यू दिल्ली हाउस, निकट बस स्टैंड, सिरूगुप्पा-583121, जिला बेल्लारी, कर्नाटक/मो. 09886536450

Sunday, November 17, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 98                 नवम्बर 2019


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रविवार : 17.11.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


जेन्नी शबनम




01. चकमा

चलो आओ 
हाथ थामो मेरा 
मुट्ठी जोर से पकड़ो 
वहाँ तक साथ चलो 
जहाँ ज़मीन-आसमान मिलते हैं 
वहाँ से सीधे नीचे छलाँग लगा लेते हैं 
आज वक़्त को चकमा दे ही देते हैं!


रेखाचित्र : डॉ. संध्या तिवारी 
02. उजाला पी लूँ 

चाहती हूँ दिन के उजाले की
कुछ किरणें
मुट्ठी में बंद कर लूँ,
जब घनी काली रातें
लिपट कर डराती हों मुझे
मुट्ठी खोल
थोड़ा उजाला पी लूँ,
थोड़ी-सी
ज़िन्दगी जी लूँ!

  • द्वारा राजेश कुमार श्रीवास्तव, द्वितीय तल-5/7, सर्वप्रिय विहार, नई दिल्ली-110016


Sunday, November 10, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 97                 नवम्बर 2019


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रविवार : 10.11.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!




वीणा शर्मा वशिष्ठ






01. रेशम धागा

नेह के धागे
बदल गए
हाँ, 
अब प्रेम भाव भी
रेशम से
चाँदी हो गए।

02. मुठ्ठी में वक्त

सोचा था
वक्त को
मुठ्ठी में पकड़ लूँ
पर
ना मुठ्ठी वैसी रही
चित्र :  प्रीति अग्रवाल 
न ही वक्त

वो रेत बन फिसलता ही रहा।

03. दीए की रोशनी

पैसों की चमक से
अब रिश्ते बुझने लगे
दीये की रोशनी
ट्यूब लाइट से
बेहतर जगमगाती थी।

  • 597, सेक्टर-8, पंचकूला-134109, हरियाणा/मो. 07986249984

Sunday, November 3, 2019

क्षणिका चयन-01 : मुद्रित अंक 01 व 02 के बाद

समकालीन क्षणिका            ब्लॉग अंक-03 / 96                 नवम्बर 2019


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रविवार : 03.11.2019
‘समकालीन क्षणिका’ के दोनों मुद्रित अंकों के बाद चयनित क्षणिकाएँ। भविष्य में प्रकाशित होने वाले अंक में क्षणिकाओं का चयन इन्हीं में से किया जायेगा।
सभी रचनाकार मित्रों से अनुरोध है कि क्षणिका सृजन के साथ अच्छी क्षणिकाओं और क्षणिका पर आलेखों का अध्ययन भी करें और स्वयं समझें कि आपकी क्षणिकाओं की प्रस्तुति हल्की तो नहीं जा रही है!


राजेश ’ललित’ शर्मा








01.

ख़ामोशियों ने इक
दी है गहराइयों से हूक
किसी ने सुनी क्या!!
या फिर से रह गई
अनसुनी दास्ताँ मेरी!

02.

टूटकर बिखरना
बहुत हुआ अब
समेट लो फिर 
वजूद को अपने 
सफ़र लंबा है
रुकेगें पड़ावों पर
ये टुकड़े काम आयेंगे।

03.

मुद्दत हुई
आइने को चेहरा देखे
मुद्दत हुई 
चेहरे को मुखौटा ओढ़े; 
ये नज़रें चुराये हैं
रेखाचित्र : अनुभूति गुप्ता 
वजह क्या है?
पूछना आइने से
ज़रा चुपके से
आइने ने छिपा रखे हैं
चेहरे दर चेहरे।

04.

ये दाग जो दिल पर लगे हैं
जनाब, उम्र भर सुलगे हैं
भीतर ही भीतर जले हैं
कभी तुम उसको छले हो
कभी वो तुमको छले हैं।

  • बी-9/ए, डीडीए फ़्लैट, निकट होली चाईल्ड स्कूल, टैगोर गार्डन विस्तार, नई दिल्ली-27/मो. 09560604484