समकालीन क्षणिका खण्ड-01 अप्रैल 2016
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
इमारतों का
रोज जंगल उग रहा
मेमने-सा आदमी
हलकान है
जाए कहाँ?
02.
आग में
गोता लगाती बस्तियाँ
इस सदी की
यह निशानी बहुत खूब!
03.
सागर में उतरा
हीरे या काँकर
मैं बटोर लाया
क्या कुछ है ये
मैं न जानूँ
निकष पहचाने!
04.
उम्र भर चलते रहे
पड़ाव
मंजिल का भरम खड़ाकर
छलते रहे।
- जी-902,जे एम अरोमा, सेक्टर-75, नोएडा-201301, उ.प्र./ मोबा. 09313727493
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