Saturday, September 24, 2016

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-10

 समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  25.09.2016
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित मिथिलेश दीक्षित जी की क्षणिकाएँ।


मिथिलेश दीक्षित 



01. प्रेम-करुणा की बहाता धार, ममता से भरा यह हृदय उच्च, उदार फिर क्यों मान जाता हार! 02. उस समन्दर में अगर हम झाँक पायेंगे, तो निश्चित ही किसी से कम न खुद को आँक पायेंगे! 03. शब्द में
रेखाचित्र : मनीषा सक्सेना 
तुम बोलते थे, आज तुम नयनों से बोले, होश में क्या आ गये हम, ज़िन्दगी ने राज़ खोले!
04. हंस हँस दे, कल न जाने काल क्या कर दे! 05. जन्म दे जीवन सजाती, घर से संसद तक चलाती, फिर भी ‘अबला’! आज के उत्कर्ष में भी, क्यों भला?

  • जी-91, सी, संजयगान्धीपुरम, लखनऊ-226016/मोबा. 09412549904

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