Sunday, September 18, 2016

प्रथम खण्ड के क्षणिकाकार-07

समकालीन क्षणिका             खण्ड-01                  अप्रैल 2016


रविवार  :  18.09.2016
क्षणिका की लघु पत्रिका ‘समकालीन क्षणिका’  के खण्ड अप्रैल 2016 में प्रकाशित कैलाश शर्मा जी की क्षणिकाएँ। 


कैलाश शर्मा 




01.
अब मेरे अहसास
न मेरे बस में,
देख कर तुमको
न जाने क्यूँ
ढलना चाहते/शब्दों में

02.
दे दो पंख 
पाने दो विस्तार 
उड़ने दो मुक्त गगन में
आज सपनों को,
बहुत रखा है क़ैद 
इन बंद पथरीली आँखों में

03.
छुपा के रखा है 
रेखाचित्र : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा 

दिल के एक कोने में 
तुम्हारा प्यार,
शायद ले जा पाऊँ
आखि़री सफ़र में 
अपने साथ
बचाकर/सब की नज़रों से
04.
जब भी होती हो सामने
न उठ पाती पलकें,
हो जाते निःशब्द बयन
धड़कनें बढ़ जातीं

तुम्हारे जाने के बाद
करता शिकायतें
तुम्हारी तस्वीर से,
नहीं समझ पाया आज तक
कैसा ये प्यार है

  • एच.यू.-44, विशाखा एन्क्लेव, पीतमपुरा उत्तरी, दिल्ली-110088

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